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Principal

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शिक्षा और किसी भी शिक्षण संस्थान का उद्देश्य तथ्यों का प्रकटीकरण नहीं, अपितु विद्यार्थियों में मूल्य-आधारित ज्ञान व रोजगारपरक कौशलों का विकास करना होता है। राष्ट्रीय शिक्षा नीति- 2020 के आलोक में हमारा शिक्षण-संस्थान इन उद्देश्यों के प्रति समर्पित है। यह मेरे लिए सौभाग्य की बात है कि विश्वविद्यालय ने मुझे सत्यवती महाविद्यालय (सांध्य)  की जिम्मेदारी सौंपी है। संस्थान के उपरोक्त उद्देश्यों की प्राप्ति, विद्यार्थियों के हित-साधन एवं उनके सर्वांगीण विकास हेतु महाविद्यालय की पूरी टीम (शिक्षण और गैर-शिक्षण कर्मियों) के साथ समर्पण,सामरस्य और  समन्वय के साथ काम करना मेरी प्राथमिकता है। गुणवत्तापूर्ण एवं सर्वसमावेशी शिक्षा द्वारा विद्यार्थियों के समग्र विकास के लिए मैं प्रतिबद्ध हैं। 
 
पंडित दीनदयाल उपाध्याय द्वारा प्रतिपादित एकात्म मानवदर्शन से प्रेरणा प्राप्त करते हुए उनके ‘अंत्योदय’ के सपने को साकार करना मेरा ध्येय है। विद्यार्थियों ख़ासकर समाज के अंतिम पायदान पर खड़े साधनहीन और वंचित वर्ग के विद्यार्थियों के उत्थान के लिए हमारा संस्थान संकल्पबद्ध है। एक संस्थान के रूप में हमारा उद्देश्य प्रत्येक विद्यार्थी के लिए आनन्दपूर्ण शैक्षिक वातावरण का निर्माण करना एवं एक बहुमुखी बुनियादी शैक्षिक ढाँचे का निर्माण करना है। हम प्रत्येक विद्यार्थी की आवश्यकताओं और आकांक्षाओं के प्रति संवेदनशील हैं। मेरा प्रयास है कि पठन-पाठन के साथ-साथ खेल-कूद और सामाजिक- सांस्कृतिक गतिविधियों को भी प्रोत्साहित किया जाए।  इससे अंतर अनुशासनिक अध्ययन के साथ-साथ विद्यार्थियों का सर्वांगीण विकास संभव हो सकेगा। विद्यार्थियों एवं शिक्षकों के मध्य सकारात्मक और सार्थक संवाद हेतु सेतु-निर्माण करना भी मेरा लक्ष्य है। 
 
अंत में, मैं अपने संस्थान के विद्यार्थियों, शिक्षकों एवं गैर-शिक्षण कर्मचारियों का अपने परिवार और टीम के सदस्य के रूप में आह्वान करता हूँ कि हम अपने संस्थान की उत्तरोत्तर प्रगति के लिए संगठित,समर्पित और सक्रिय हों।
 
– प्रो. हरि मोहन शर्मा
  (प्राचार्य)